सरकार की कुटिल नीतियों , भ्रष्ट व्यवस्थाओं, भ्रष्टाचार, पक्षपात पूर्ण व्यवहार व कालेधन की
सर्वाधिक मार पड़ी है हमारे गांवों पर | गांवो का सर्वांगीण विकास न होने से गरीबी, अशिक्षा
व पलायनादि अंतहीन समस्याएं खड़ी हुई है | भारत का जन्म ही गांवो मे हुआ है |आज दुर्भाग्य से
भारत के आंतरिक रूप से दो भाग हो गए है | एक शाइनिंग इंडिया दूसरा दरिद्र भारत | ग्राम
स्वराज के बिना राष्ट्र मे सच्चा स्वराज्य कहाँ से आएगा, ग्रामोदय से राष्ट्रोदय अथवा ग्राम
निर्माण से राष्ट्रनिर्माण संभव है | महात्मा गांधी जी से लेकर तिलक, गोखले, शहीदे आजम
भगतसिंह, चन्द्रशेखर आजाद व पं॰ रामप्रसाद विस्मिल आदि क्रांतिवीरों का यह दृढ़ विश्वास था
कि जब तक भारत के लाखो गांव स्वतंत्र, शक्तिशाली एवं स्वावलंबी नहीं बन जाते तब तक भारत की
आजादी आधी अधूरी है व भारत का भविष्य उज्ज्वल नही हो सकता तथा स्वदेशी के रास्ते पर चलकर ही
देश को पूर्ण स्वावलंबी व सर्वाधिक शक्तिशाली बनाया जा सकता है | इस वर्ष मई व जून माह में
गांवो मे प्राथमिक स्तर पर तथा वर्ष के अंत तक प्रत्त्येक गांव को आदर्श स्वरूप मे खड़ा करने
का हमारा संकल्प है आदर्श ग्राम निर्माण योजना की संक्षिप्त रूप रेखा इस प्रकार है |
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नियमित योगाभ्यास से स्वस्थ गांव –
गांव में भारत स्वाभिमान की ग्राम इकाई का गठन कर मंदिर, मस्जिद, गिरिजाघर,
गुरुद्वारा,
स्कूल, कॉलेज, धर्मशाला, पंचायत भवन, ग्राम देवता देवस्थान, तालाब के किनारे या
अन्य
उपयुक्त स्थानों पर नित्य योग प्राणायाम की कक्षा, सत्संग, स्वाध्याय, संस्कार,
आत्म
निर्माण व राष्ट्र निर्माण का चिंतन हो। योग से स्वस्थ व संस्कारवान गांव का
निर्माण
हो।
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सदस्यता अभियान से संगठित गांव –
बिना संगठित हुए हम कोई भी बड़ा लक्ष्य प्राप्त नहीं कर सकते, भारत स्वाभिमान के
व्यवस्था परिवर्तन अभियान के लिए गाँव से लेकर शहर तक सम्पूर्ण राष्ट्र को सदस्यता
अभियान के तहत संगठित करके बीमारी, बुराई व भ्रष्टाचार से मुक्त स्वस्थ, संस्कारवान
व शक्तिशाली भारत निर्माण के लक्ष्य को प्राप्त करना ।
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रोग व नशा मुक्त गांव –
नियमित योगाभ्यास से एक ओर जहाँ लोगो के रोग दूर होंगे वहीं दूसरी ओर लोगो के तन,
मन व आत्मा पावन होगी और वे नशामुक्त व आनन्दमय जीवन जीने लगेंगे । नशा मुक्ति के
लिए सभी ग्रामवासी एक दिन मे दृढ़ संकल्प लेकर शराब, तंबाकू व अन्य खतरनाक नशों से
हो रहे सर्वनाश से स्वयं को व गांव को बचाकर स्वास्थ्य, श्रम, व समृद्धि के रास्ते
पर ला सकते हैं ।
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स्वदेशी से स्वावलंबी गांव –
विदेशी वस्तु, विचार, वस्त्र, विदेशी भाषा, भोजन, भजन, विदेशी खाद, कीटनाशक व
तेलादि से देश के प्रति लगभग 15 से 20 लाख करोड़ रुपये के धन की बर्बादी हो रही है |
हमे स्वदेशी के रास्ते पर चल कर देश के धन, संसाधन, बचपन, यौवन व संस्कारो को बचाना
है और स्वदेशी वस्तु, विचार, वस्त्र, स्वदेशी भाषा, स्वदेशी दवा व चिकित्सा,
स्वदेशी गोबर आदि का खाद व पशुओ के गोमूत्रादि से बने कीटनाशक आदि का प्रयोग करके
तथा तेल आदि के क्षेत्र मे देश को आत्म निर्भर बनाकर अपनी आवश्यकताओ की पुर्ति हमें
तो करनी ही है, साथ ही स्वदेशी उद्योगो के द्वारा हमें इतना उत्पादन बढ़ाना है कि
औद्योगीकरण व वैश्वीकरण का लाभ उठाकर विश्व मे सर्वाधिक निर्यात करने वाले देश तो
बनेगे ही साथ ही स्वदेशी से अपनी देश की बचत व विदेशो मे निर्यात को बढ़ा कर हम देश
का आर्थिक द्रष्टिकोण से कम से कम 25 से 30 लाख करोड़ रुपए प्रतिवर्ष बचा पाएंगे और
कुछ ही दिनो मे भारत को आर्थिक शक्ति के रूप मे खड़ा कर पाएंगे । गांव मे नित्य
प्रयोग की वस्तुऐ जैसे साबुन, शैंपू, टूथपेस्ट, क्रीम, पाउडर, जूते चप्पल वा
वस्त्रादि आदि का पूर्ण बहिष्कार करेंगे तथा कोल्डड्रिंक्स आदि के स्थान पर स्वदेशी
स्वास्थ्यवर्धक पेयों को प्रोत्साहन देंगे स्वदेशी कम्पनी की वस्तुओ को गांवो तक
पहुंचाएंगे तथा साथ ही एक बड़ी कार्ययोजना के तहत गांव या गांव के आसपास बनी स्वदेशी
वस्तुओ का प्रयोग करेंगे यदि स्वदेशी उत्पादो की गुणवत्ता व मूल्य आदि मे कही कोई
दोष होगा तो उसको ही परस्पर सहयोग व सदभाव से दूर करेंगे | इस प्रकार प्रत्येक
गांव, जिला व पूरे भारत को हमे स्वदेशी से स्वावलंबी आत्म निर्भर बनाना है तथा
विदेशी वस्तु व विचारो के मिथ्याकर्षण से देश को मुक्ति दिलानी है । स्वदेशी
अपनायेंगे-देश के संकल्प को पूरे देश मे जाग्रत करना है । स्वदेशी व विदेशी कंपनियो
की सूची भी हमे लोगो तक पहुंचानी है ।
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जड़ी-बूटी उद्यान व स्वदेशी चिकित्सा का ज्ञान –
गिलोय, तुलसी, घृत कुमारी, आंवला नीम, अश्वगंधा व पत्थरचटा आदि जडी-बूटियों को घर,
आंगन खेत, स्कूल, कालेज व मंदिर आदि में लगवाकर व उनके गुण, धर्म व उपयोग के बारे
में बताकर सस्ती, सरल, निर्दोष व प्रभावशाली अपनी प्राचीनतम चिकित्सा पद्घति का
प्रचार व गांव के लोगों का उपचार करना है।
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वृक्षारोपण –
वृक्ष हमारे जीवन व जगत के रक्षक हैं हमारा जीवन पूरी तरह से पेड-पौधों पर निर्भर
है। जीवन रक्षा, पर्यावरण की रक्षा, सूखा, बाढ गर्मी व अन्य भंयकर खतरों से हम तभी
बच सकते हैं जब हमारे आस-पास पेड होंगे। हमने जंगलों व गांव के पेडों की बेरहमी से
कटाई की है और इसी के परिणाम स्वरुप आज जलवायु परिवर्तन व वर्षा की कमी जैसी भयावह
समस्या पैदा हुई है। सोना, चांदी, बडी गाडी व बडे भवन हम विकास व विलासिता के नाम
पर तुरन्त खरीद सकते है या इनको बना सकते हैं परन्तु जिन वृक्षों के आधार पर जीवन
चल रहा है उनको लगाने व बडा करने में कम से कम 15 से 20 वर्ष लगेंगे, तो आइए अभी से
भारत के स्वर्णिम भविष्य बनाने व अपनी भावी पीढियों को बचाने के लिए आज से ही
जन्मदिन, शादी की वर्षगांठ, पितरों की स्मृति व पवित्र पर्वों पर वृक्ष लगाने का
संकल्प लीजिए। अपने मित्रों व परिजनों को भी खुशी के मौकों पर औषधीय गुणयुक्त नीम,
अर्जुन, आंवला आदि पेड गिलोय, तुलसी व घृतकुमारी आदि जडी-बूटियों के पौधे उपहार में
दीजिए।
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शिक्षा में गुणात्मक सुधार –
महात्मा गांधी का स्पष्ट मानना था कि मात्र अक्षर का ज्ञान ही शिक्षा नहीं है यह तो
शिक्षा का मात्र एक अंग है उसके साथ संस्कार व स्वदेशी के दर्शन पर आधारित शिक्षा
जिसमें स्वदेशी भाषा, वस्तु, वस्त्र, विचार, स्वदेशी, भेषज, भोजन व भजनादि पर
आधारित भारतीय शिक्षा का समावेश हो। बच्चों को प्रारम्भ से ही स्वदेशी वस्तुएं,
वस्त्र व स्वदेशी आयुर्वेदिक दवा आदि बनाने का क्रियात्मक प्रशिक्षण दिया जाए व उन
वस्तुओं को बाजार में बेंचने की भी व्यवस्था की जाए। विद्यालयों से न्यूनतम मूल्य
पर उच्च गुणवत्ता युक्त नित्य प्रयोग उत्पादों शैम्पू, साबुन, टूथपेस्ट, मोमबत्ती,
अगरबत्ती, क्रीम, पावडर, देशी दवा, च्यवनप्राश, आंवलादि के चूर्ण व वस्त्रादि को
स्थानीय लोग ममता, प्रेम भाव व चाल से खरीदें इससे शिक्षा के क्षेत्र में एक नई
क्रान्ति होगी। विद्यालय में शिक्षकों व विद्यार्थियों की नियमित उपस्थिति
प्राणायाम आसन व ध्यानादि के नियमित अभ्यास से बच्चों का शारीरिक, मानसिक व बौद्घिक
सर्वागीण विकास के कार्यक्रम चलाना।
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जल प्रबंधन –
वर्षा जल के संरक्षण, फसलों के चयन में वैज्ञानिकता अर्थात कम पानी वाले स्थानों पर
गन्ना व धानादि नहीं बोना, श्रमदान व परस्पर सहयोग से खेत का पानी खेत में व गांव
का पानी गांव में रहे व आसमान से गिरने वाली एक-एक बूंद धरती के पेट में जाए जिससे
जल स्तर को बचा सकें। इस तरह वैयक्तिक व सामूहिक स्तर पर प्रयास करना। प्रति
व्यक्ति व प्रति खेत जल की उपलब्धता निरन्तर घटती ही जा रही है यदि इस पर हमने
ध्यान नहीं दिया तो पेय जल, सिंचाई व सफाई के लिए मिलने वाले जल के नाम संघर्ष ही
नही, युद्घों को भी हम नहीं टाल पायेंगे।
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ग्राम संसद –
गांवों में सच्चा स्वराज्य तभी आ सकता है जब गांव के हित में सर्व सम्मति से निर्णय
ग्राम सभा करे और उसकों पूर्ण पारदर्शिता के साथ क्रियान्वित करने का काम ग्राम
पंचायत करें। इससे गांव में सच्चा स्वराज्य आयेगा गांव में भ्रष्टाचार नहीं होगा व
विकास की सभी योजनाएं से ग्रामोदय से राष्ट्रोदय की संकल्पना साकार होगी।
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विष मुक्त कृषि –
खतरनाक रासायनिक खादों व जहरीले कीटनाशकों से मुक्त गोबरादि के स्वदेशी खाद व पशुओं
के मूत्र आदि से बने हानि रहित कीटनाशकों व स्वदेशी उन्नत बीजों के प्रयोग से ही
स्वस्थ भारत व समृद्घ किसान का सपना साकार हो सकता है। आज देश भर में लगभग 5 लाख
करोड रुपये के विषैले कीटनाशक व उनके प्रयोग से पैदा हुई बीमारियों पर लगभग 7 लाख
करोड रुपये की दवाई और कैंसर, टी,बी, दमा, शुगर, व बी,पी, जैसी खतरनाक बीमारियां
पैदा हो रही है। किसान का लगभग 80 प्रतिशत खर्चा मंहगे खाद व कीटनाशकों में खर्च हो
रहा है। ज्यादा खर्च, कम उपज के कारण किसान की आत्महत्यांए व जहरीले अन्न व शाक
सब्जियों से भयंकर बीमारियों के कारण देश को मौत के मुंह में धकेला जा रहा है।
स्वदेशी कृषि व्यवस्था से कम लागत से पहले कम पैदावार और बाद में कम लागत से अधिक
पैदावार की नई शुरुआत हमें करनी है। हम इस आर्गेनिक खेती के लिए उचित मूल्य का
बाजार भी उपलब्ध करायेंगे।
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ग्राम स्वच्छता –
स्वच्छता व स्वास्थ्य का गहरा सम्बन्ध है। गांव में शौचालय, घर, गली व पूरे गांव
में स्वच्छता होने से 99 प्रतिशत बीमारियों से मुक्त रहेंगे तो सुख, स्वास्थ्य,
समृद्घि, शान्ति व दैवी शक्तियां का वास होगा है। इसके विपरीत गंदगी से घर की गली व
गांव में नरक का माहौल बन जाता है। इस प्रकार की ग्राम निर्माण योजना से गांव में
स्वर्ग का साम्राज्य होगा। गांव में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार एवं विकास की नई
क्रान्ति पैदा होगी गांव से अच्छे लोगों का पलायन रुकेगा और हम तो चाहते है कि गांव
का वातावरण इतना अच्छा बनाए कि शहरों में नरक की जिंदगी जी रहे लोग गांव में आकर
बसने लगे अर्थात जब शहरों से गांवों की ओर पलायन होगा तभी भारत बनेगा व बचेगा। देश
के अन्नदाता किसान, राष्ट्र के निर्माता गरीब मजदूर व कारीगर आदि को भी डाक्टर,
इंजीनियर व अन्य व्यवसायिक सेवाएं देने वालों की तरह पूरा काम, दाम व सम्मान हम
दिलवायेंगे और भारत को विश्व की महाशक्ति व विश्व गुरु बनायेंगे।