6 अप्रेल 2006 को भारत के उपराष्ट्रपति द्वारा देश के 17 मुख्यमंत्री व राज्यपाल आदि विशिष्ट लोगों की उपस्थिति में पतंजलि योगपीठ, प्रथम चरण का उदघाटन। पतंजलि योगपीठ में 2 लाख वर्ग फ़ीट का विशाल नवीन ऑडिटोरियम बनाया गया है जिसमें 10 हजार साधक एक साथ बैठकर योग कर सकते है। पतंजलि योगपीठ को वर्तमान स्वरुप तक पहुँचाने वाले पतंजलि योगपीठ के आधार स्तम्भ -(अधिक जानने के लिये नाम पर क्लिक करें)
वीरों जैसा शौर्य व पराक्रम, सिध्दों जैसा तप, ॠषियों जैसा तत्वज्ञान, आत्मज्ञान, संतों जैसी सरलता, योगियों जैसी स्थिरप्रज्ञता व अनासक्ति, बच्चों जैसी मुस्कान, माँ जैसी कोमलता व वात्सल्य, पिता जैसी कठोरता, वैज्ञानिक जैसी तार्किक व सात्विक बुध्दि वाले गुरुकुलीय परम्परा के विद्वान आचार्य, विनम्र-साधक, परम-तपस्वी, कर्मयोगी-सन्यासी, पूज्यपाद योगॠषि स्वामी रामदेव जी महाराज विश्व के मंगल अनुष्ठान में अहर्निश संलग्न हैं। धरती सा धैर्य, अग्नि सा तेज, वायु सा वेग, जल जैसी शीतलता व आकाश जैसी विराटता आपके जीवन का आदर्श है। गुरु सत्ता व भागवत सत्ता को सर्वोच्च मानकर पूर्ण समर्पण, सामर्थ्य, पुरुषार्थ एवं समग्र पराक्रम (आक्रामकता) के साथ स्वधर्म, स्वकर्तव्य-कर्म का निर्वहन करते हुए साधना एवं राष्ट्र पुरुष की आराधना करना ही आपके जीवन का ध्येय है। जीवन में प्राप्त होने वाला ज्ञान, समृध्दि, सफलता, सिध्दि, साम्राज्य, वैभव, यश आदि सम्पूर्ण विरासत को गुरु एवं भागवत कृपा का प्रसाद मानकर सदा निरभिमानी रहना, यही आपश्री का कार्यदर्शन है। योग को घर-घर पहुँचाने व वैश्विक पटल पर विराट रुप में प्रतिष्ठापित करने का श्रेय आपश्री को ही जाता है। भारत स्वाभिमान के माध्यम से योग से आरोग्य, चरित्र एवं नेतृत्व निर्माण के विराट आंदोलन के आप मुख्य संचालक हैं। पूज्य योगॠषि स्वामी रामदेव जी महाराज दिव्य योग मंदिर (ट्रस्ट), पतंजलि योगपीठ (ट्रस्ट) व भारत स्वाभिमान (ट्रस्ट) के संस्थापक अध्यक्ष हैं।