जब 3-3 बार ज्ञापन सौंपने के बाद भी सरकार की ओर से कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई तो पूज्य स्वामी जी ने 4 जून 2011 से रामलीला मैदान में अनशन की घोषणा की तथा भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा सत्याग्रह, सामूहिक उपवास ४ जून की रात रामलीला मैदान दिल्ली में किया गया, जिसमें कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक, अटक से लेकर कटक तक के ३ लाख से अधिक लोगों ने सीधे रामलीला मैदान में व देश के प्रत्येक जिला मुख्यालय पर हजारों लोगों ने पूज्य स्वामी जी के साथ अपने-अपने जिलों में सत्याग्रह किया। सभी जिलों पर सत्याग्रह के समर्थन में हर वर्ग, जाति, धर्म के लोगों ने इस सत्याग्रह में आज़ादी की लड़ाई की तरह भाग लिया। रामलीला मैदान में देश के अलग-अलग जिलों के राष्ट्रभक्त भाई-बहन एक-एक माह की पैदल यात्रा के साथ पहुंचे।
रामलीला मैदान में ४ जून की संख्या व जनसैलाब को देखकर तथा अगले दिन दिल्ली में लगभग 10 लाख लोगों के रामलीला मैदान पहुँचने की संभावना को देखते हुए, दिल्ली की सत्ताओं के सिंहासन डोलने लगे। इसे रोकने के लिए सरकार ने ४ जून की रात 12 बजे जलियांवाला बाग के कांड को दोहराते हुए, एक लाख से अधिक खाली पेट उपवास बैठे सत्याग्रहियों पर बिना कोई चेतावनी दिए बर्बरता से हमला किया, लाठियां चलाई गईं, अश्रु गैस के गोले चलाए गए, पूज्य स्वामी जी की हत्या का षड्यंत्र रचा गया। बार-बार पूज्य महाराज जी ने अपनी गिरफ्तारी देने के लिए मंच से कहा लेकिन पुलिस ने गिरफ्तार न करके मंच पर तीन-तीन बार आग लगाई। (नोट- इतिहास में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को गायब करवा दिया गया जिसका ६५ वर्षों बाद भी पता नहीं चल पाया, लाल बहादुर शास्त्री जी की मौत भी एक पहेली है, लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी को जेल में जहर दिया गया, डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीन दयाल उपाध्याय समेत न जाने कितने ऐसे राष्ट्रवादी हैं जिनकी मौत आज तक रहस्य है।)
इसका पता लगा है कि षड्यंत्र यह था कि अवैध हथियारों से स्वामी जी की हत्या कर दो तथा इसका इल्जाम विपक्षी संगठनों या दूसरे धर्म के लोगों पर लगा दो। वहाँ पर रात में पुलिस के साथ सादी वर्दी में बहुत से अराजक तत्व भी रामलीला मैदान में भेजे गए जिन्होंने पत्थर फेंक कर माहौल बिगाड़ने की कोशिश की लेकिन पूज्य महाराज जी के निर्देश से सभी एक लाख लोगों ने संयम का परिचय दिया तथा किसी बड़ी अनहोनी को सत्याग्रहियों ने अपने विवेक व आत्मबल से नहीं होने दिया। पुलिस की बर्बरता से 600 से अधिक व्यक्तियों को गंभीर चोटें आईं, इसके अतिरिक्त सामान्य घायल होने वाले व्यक्तियों की संख्या २००० से अधिक थी। शराब पीकर आने वाले पुलिस वालों ने बहनों के साथ छेड़छाड़ की, शहीदों के परिजन वहाँ पर उपस्थित थे उनके परिवार के साथ भी बदसुलूकी की गई। पुलिस की कार्यवाही इतनी दिल दहला देने वाली थी कि पूज्य स्वामी जी के निजी सचिव श्री अजय आर्य जी (जो हर समय स्वामी जी के साथ रहते हैं) की दोनों टाँगे पुलिस ने तोड़ दी, बहन राजबाला के ऊपर इतने अत्याचार किए गए कि लगभग चार महीने कोमा में रहने के बाद बहन ने भ्रष्टाचार के विरुद्ध आंदोलन में अपनी आहुति दे दी।
बहन राजबाला की ही तरह से पूज्य स्वामी जी की हत्या का षड्यंत्र उस रात रचा गया ताकि १२१ करोड़ लोगों की इस आवाज़ को खामोश किया जा सके। स्वामी जी को रात में ही गिरफ्तार करके बिना किसी को सूचित किए उन्हें हरिद्वार भेज दिया गया, हरिद्वार में भी पूज्य स्वामी जी ने अपना अनशन जारी रखा, लगातार २२२ घंटे तक अनशन किया। पूज्य स्वामी जी अपने अनशन के दौरान अत्यधिक परिश्रम किया तथा हत्या तक के षड्यंत्र की मानसिक यंत्रणा को सहा। स्वामी जी ने प्रथम २-३ दिन तो पानी भी न के बराबर पीकर अपना अनशन जारी रखा तथा उनके साथ ही देश के भी लाखों लोगों ने अपने-अपने जिले के मुख्यालय में अनशन जारी रखकर सत्याग्रह को जारी रखा।
12 जून को गुरूजी पूज्य आचार्य बलदेव जी, आचार्य प्रदुम्न जी के आदेश पर तथा समस्त देशवासियों से आ रहे निवेदन पर, पूज्य श्री श्री रविशंकर जी, पूज्य मोरारी बापू, पूज्य स्वामी सत्यमित्रानंद जी महाराज व हरिद्वार के अखाड़ों के संतो के आग्रह पर अपना अनशन समाप्त किया तथा भ्रष्टाचार के विरुद्ध लगातार संघर्ष का संकल्प दोहराया। जून के बाद भारत स्वाभिमान के माध्यम से पूज्य स्वामी जी दोगुनी ऊर्जा के साथ भ्रष्टाचार के विरुद्ध अभियान को जारी रखा, सरकार ने हसन अली जैसे अपराधियों और भ्रष्टाचारियों को छोड़कर अपने सारे विभागों को पतंजलि योगपीठ के पीछे लगा दिया। जिन स्वामी रामदेव जी के चरणों में सत्ताओं के शीर्ष पर बैठे लोग शीश नवाते थे उन्हीं स्वामी जी के ऊपर तरह-तरह के आरोप लगाकर मीडिया के माध्यम से भ्रम व अफवाहें फैलाने लगे, लेकिन आंदोलन की ओर से हर आरोप का प्रमाणिक उत्तर दिया गया तथा आंदोलन के कार्यकर्ता और अधिक उत्साह से आगे बढ़ने लगे।
रामलीला मैदान की रावणलीला व बर्बरता पर माननीय सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर कार्यवाही की, जिसका मुकदमा अभी कोर्ट में चल रहा है।
भारत स्वाभिमान संगठन की इकाइयां देश के ६०० से अधिक जिलों में स्थापित की गयी, इसी संगठन को आगे विस्तृत करते हुए जून २००९ तक संगठन की इकाइयां लगभग ४००० से अधिक तहसीलों तक विस्तृत की गयी, आज सम्पूर्ण देश में भारत स्वाभिमान के प्रत्येक जिले में १०००० से ५०००० कार्यकर्ता सदस्य है तथा देश के लगभग १२० करोड़ लोग इससे प्रेम करते है तथा भावनात्मक रूप से इस संगठन से जुड़े हुए है. लगभग 11 करोड़ से अधिक लोग पूज्य स्वामी जी के योग शिविरो मे भाग ले चुके है ।